+91-9240214610 (Bandra)
+91-9240214611 (Kandivali)
September 12, 2025 | Author: Admin
आँखें हमारी जीवन की अमूल्य अमानत/धरोहर हैं जो हमें अच्छी दृष्टि दे कर हमारे तमाम रोजमर्रा के कामों, जैसे कि पढ़ने-पढ़ाने, ऑफिस के कार्य, एवम अन्य गतिविधियों को पूरा करने में अपररिहर्य योगदान करती हैं । लेकिन बढ़ती उम्र और आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियाँ (जैसे स्क्रीन समय बढ़ जाना, प्रदूषण, अस्वस्थ भोजन आदि) के चलते हमें अनेक विकृतियों का सामना करना पड़ता है । इनमें से एक सबसे सामान्य लेकिन गंभीर समस्या है मोतियाबिंद (Cataract), जिसको एक समय के भीतर उचित कदम उठाते हुए रोका जा सकता है । हम यहां पर कुछ ख़ास उपाय और जानकारी आपके साथ साझा करने जा रहे हैं जो आँखों को स्वस्थ रखने रखने के साथ साथ मोतियाबिंद की समस्या से बचने में भी आपकी मदद करेंगे:-
आइए सबसे पहले जानते हैं कि मोतियाबिंद होता क्या है। दरअसल ये समस्या तब उत्पन्न होता है जब आंख की लेंस (lens) पारदर्शिता खोने लगती है और धीरे-धीरे ये धुंधली या बिलकुल गायब सी हो जाती है। यह स्थिति आँखों के लेंस में मौजूद प्रोटीनों का आपस में चिपक जाने या वहां के अन्य जैविक रासायनिक प्रक्रियाओं की वजह से उत्पन्न होती है जो उम्र बढ़ने के साथ यह स्वाभाविक रूप से और भी तेज़ हो सकती है। लेकिन उम्र ही एक मात्र कारण नहीं है। इसके बढ़ने के दूसरे कारण हो सकते हैं जो निम्नवत:-
इन कारकों की समझ और नियंत्रण ही हमें इस समस्या से बचने की दिशा में प्रारंभिक सहायता प्रदान करते हैं।
नीचे कुछ व्यावहारिक और सहज उपाय दिए गए हैं, जो नियमित रूप से अपनाने पर आपकी आँखों को सुरक्षित रख सकते हैं:-
सूर्य की किरणों में उपस्थित UV-A और UV-B किरणें आँखों की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव पहुंचा सकती हैं। यह लेंस में फ्री रैडिकल की उपस्थिति बढ़ा सकती है और प्रोटीनों को नुकसान पहुंचा सकती है।
इसलिए जब भी बाहर जाएँ — खासकर दोपर में तो यूवी फिल्टर वाले धूप के चश्मे और टोपी का प्रयोग जरूर हानिकारक करें ताकि आँखों तक हानिकारक UV पहुँच न सके।
आँखों की सेहत के लिए भोजन की भूमिका भी अनिवार्य है जिसके अंतर्गत निम्नलिखित पोषक तत्व विशेष रूप से लाभदायक हैं:-
खेलकूद, घरेलू काम या अन्य गतिविधियों से आँखों पर अनजाने में चोट लग सकती है जो बाद में आपकी आँखों के लेंस को नुक़सान पहुंचा सकती हैं।
समय-समय पर किसी नेत्र विशेषज्ञ//चिकित्सक (ऑप्टोमेट्रिस्ट) से जाँच करवाते रहें, खासकर जब आप 40 वर्ष को पार चुके हों या अपनी आँखों में आप धुंधलापन महसूस करने लगे हों।
ऐसी जाँच में शुरुआत में ही मोतियाबिंद या दूसरी आँखों की समस्या पकड़ में आ सकती है, जिससे उसे नियंत्रित करना और उसका निदान बेहद आसान हो जाता है।
अधिक UV एक्सपोजर – धूप या उच्च ऊँचाई वाले स्थानों पर UV स्तर अधिक होता है। यदि नियमित सुरक्षा न की जाए, तो लेंस की कोशिकाएँ आनुवांशिक क्षति का शिकार हो सकती हैं।
धूम्रपान व शराब – ये आदतें शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ाती हैं और आँखों की रक्षा प्रणाली को बेहद कमजोर कर सकती हैं।
मधुमेह / उच्च रक्तचाप – बेहद नियंत्रणहीन रक्त शर्करा या रक्तचाप आँखों की सूक्ष्म रक्तवाहिकाओं को क्षति पहुंचा सकते हैं, जो लेंस पर भी साकार हो सकती है।
दवाईयों का दीर्घकालीन उपयोग – खासकर स्टेरॉयड दवाओं का लंबे समय तक उपयोग मोतियाबिंद की प्रक्रिया को बढ़ा सकता है। यदि आप इन दवाओं की नियमित सेवन करते हैं तो अपने नेत्र चिकित्सक से अपनी आँखों की सुरक्षा को लेकर चर्चा अवश्य करें।
पारिवारिक इतिहास – यदि परिवार में किसी को पहले ही मोतियाबिंद की समस्या रही है, तो ये भी एक जोखिम का कारन बन सकता है। इस स्थिति में और भी ज्यादा सतर्कता कि आवश्यकता होती है।
मोतियाबिंद उम्र बढ़ने के साथ होने वाली एक सामान्य समस्या जरूर है, लेकिन जरूरी नहीं कि आपको भी इस समस्या से गुजरना ही पड़े। वक़्त रहते उठाए गए सुरक्षा कदम, स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जाँच और आँखों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता इस स्थिति को काफी हद तक टाल सकते हैं और इसके अन्य लक्षणों को आने वाले दिनों में एक लम्बे समय तक रोक सकते है।
यदि आप या आपके परिजन दृष्टि संबंधी नेत्र सम्बन्धी कोई समस्या महसूस कर रहे हों या मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा चुके हैं, तो समय रहते नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेना न भूलें। याद रखिये शुरुआत में ही समस्या का निदान प्रभावी साबित होता है।