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September 15, 2025 | Author: Admin
मोतियाबिंद एक नेत्र संबंधी समस्या है जिसमें नेत्र (आँख) की लेंस (crystalline lens) की पारदर्शिता धीरे-धीरे कम हो जाती है, और व्यक्ति की दृष्टि धुंधली होने लगती है । यह प्रक्रिया आमतौर पर समय के साथ होती है और एक या दोनों आँखों को प्रभावित कर सकती है। शुरुआत में व्यक्ति शायद फर्क महसूस न करे, लेकिन जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, दृष्टि प्रभावित होती है और उसकी दैनिक गतिविधियों में बाधा आने लगती है।
आमतौर पर मोतियाबिंद के निम्नलिखित लक्षण व्यक्तियों में देखने को मिल सकते हैं:-
ये सभी संकेत यह इशारा करते हैं कि लेंस की स्थिति बदल रही है और जल्द से जल्द नेत्र विशेषज्ञ से जाँच करानी चाहिए।
मोतियाबिंद विकसित होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:-
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, लेंस के प्रोटीन संरचना में परिवर्तन आना स्वाभाविक है जो समय के साथ लेंस की पारदर्शी बनाए रखने की क्षमता को कमजोर कर देते हैं।
धूम्रपान करने वालों में विशेष रूप से न्यूक्लियर या पोस्टरियर सबकैप्सुलर प्रकार का मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
यदि आपकी आँख सीधे सूर्य की UV किरणों के संपर्क में अधिक समय तक रहती हैं, तो लेंस कोशिकाओं को नुकसान पहुँच सकता है, जिससे मोतियाबिंद की संभावना बढ़ जाती है।
विशेष रूप से कॉर्टिकोस्टेरॉइड और कुछ अन्य दवाएँ लेंस को प्रभावित कर सकती हैं और मोतियाबिंद की समस्या उत्पन्न कर सकती हैं।
अगर आँख को चोट लग जाए — आगे की लेंस कैप्सूल प्रभावित हो जाए — तो लेंस की पारदर्शिता बाधित हो सकती है।
मधुमेह जैसे रोग, उच्च रक्तचाप, पोषण की कमी आदि भी लेंस को प्रभावित कर सकते हैं और मोतियाबिंद की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं।
मोतियाबिंद कई तरह के होते हैं, जिनका वर्गीकरण लेंस की स्थिति और मोतियाबिंद के स्थान के आधार पर किया जाता है। नीचे प्रमुख प्रकार दिए गए हैं:-
इस प्रकार लेंस की पृष्ठीय (पिछली) सतह के नीचे विकसित होता है, जो लेंस को घेरे रहने वाली कैप्सूल के अंदर की ओर होता है। ऐसी स्थिति विशेष रूप से उन लोगों में अधिक देखी जाती जाता है जो स्टेरॉयड दवा लेते हैं या मधुमेह से प्रभावित हैं।
यह बेहद आम समस्या है, जो ख़ास तौर पर उम्र बढ़ने के साथ जिसमे लेंस का केंद्र (न्यूक्लियस) कठोर और पीला होकर धुंधला हो जाता है।
यह लेंस के बाहरी भाग (कॉर्टेक्स) में सफेद, धुंधले “स्पोक जैसे” निशान बनाता है जो केंद्र की ओर बढ़ते हैं और प्रकाश को केंद्र तक पहुँचने से रोक सकते हैं।
मोतियाबिंद का मुख्य एवं प्रभावी इलाज सर्जरी (मोतियाबिंद निकालने की प्रक्रिया) ही माना जाता है। आइए इस प्रक्रिया और उसके बाद की देखभाल पर एक नज़र डालें :-
मोतियाबिंद को पूरी तरह से रोक पाना आसान नहीं है, लेकिन उसकी शुरुआत को धीमा जरूर किया जा सकता है जिसके लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बेहद उपयोगी हैं:-
विशेष रूप से 40 वर्ष से बाद नियमित आँखों की जांच और विश्लेषण आवश्यक है। इससे मोतियाबिंद या दूसरे नेत्र रोगों को शुरुआती दौर में पहचानना आसान हो जाता है।
विटामिन C, E, ज़ीनथिन, ल्युटिन तथा ओमेगा-3 जैसे तत्वों से भरपूर भोजन लें — जैसे हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मछली, अंडे आदि।
धूम्रपान लेंस में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ाता है, जिससे मोतियाबिंद विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
अत्यधिक शराब स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है और मोतियाबिंद के जोखिम को बढ़ा सकती है।
बाहर निकलते समय UV सुरक्षा चश्मे और टोपी का उपयोग करें ताकि आँखों को हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाया जा सके।
यदि आप मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों से ग्रस्त हैं, तो उन्हें नियंत्रित रखना आवश्यक है, ताकि वे आँखों को हानी न पहुँचाएँ।
मोतियाबिंद एक सामान्य लेकिन दृष्टि को प्रभावित करने वाली समस्या है, जो समय के साथ बढ़ती है। शुरुआत में धुंधलापन हल्का हो सकता है, लेकिन धीरे-धीरे यह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। आधुनिक नेत्र सर्जरी (IOL प्रत्यारोपण सहित) एक सुरक्षित, प्रभावशाली और स्थापित इलाज है। सही समय पर नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेकर आप बेहतर उपाय कर सकते हैं और अपनी दृष्टि को बनाए रख सकते हैं।